Census: Minor Irrigation Department

Uttarakhand at a Glance

Area:53,483 sq.km.
Population: 100.86 lakh
Capital: Dehradun(Temporary)
Districts: 13
Literacy Rate: 78.80%
Latitude: 28°43' N to 31°27' N
Read more

Districts

Map Uttarkashi Dehradun Haridwar Tehri rudraprayag chamoli pauri bageshwar pithoragarh almora nainital  champawat usnagar

Uttarakhand Goverment Portal, India (External Website that opens in a new window) http://india.gov.in, the National Portal of India (External Website that opens in a new window)

Hit Counter 0000309605 Since: 01-01-2011

Census

Print

 

   लघु सिंचाई कार्यों की संगणना



   हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। देश के लगभग 2/3 जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। कृषि ग्रामीण क्षेत्रों रोजगार का एक मुख्य साधन है, तथा इस क्षेत्र के अधिकांश जनसंख्या आज भी रोजगार के लिए कृषि पर निर्भर है। कृषि उत्पादकता बढ़ाने में सिंचाई साधनों का महत्वपूर्ण योगदान है। उत्तराखण्ड राज्य की भौगोलिक स्थिति दुर्गम है, तथा पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र का अधिकांश भाग वर्षा पर निर्भर है। उत्तराखण्ड राज्य में सिंचाई साधनों से सिंचित होने वाले कृषि क्षेत्र का लगभग शत -प्रतिशत क्षेत्र सिंचाई हेतु आज भी लघु सिंचाई साधनों पर ही निर्भर है।

सिंचाई कमांड क्षेत्र के आधार पर सिंचाई योजनाओं को मुख्यतः तीन भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है। वह समस्त सिंचाई योजनाएं लघु सिंचाई योजना कहलाती है जिनका कृषि योग कमांड क्षेत्र (CCA) 2,000 है0 से कम है। 2000 है0 से 10,000 है0 कमांड क्षेत्र वाली योजनाएं मध्यम सिंचाई योजनाएं तथा 1,0000 है0 से अधिक कमांड क्षेत्र वाली योजनाएं वृहत सिंचाई योजनाएं कहलाती हैं।

लघु सिंचाई योजनाओं की विषेशता यह होती है कि वे कम समय व कम लागत में ही पूर्ण हो जाती है, तथा राज्य के सिंचाई क्षेत्र का अधिकांश भाग लघु सिंचाई योजनाओं से लाभान्वित होता है। लघु सिंचाई योजनाएं कृषि उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ कृषको की आय बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है।

Rationalization of Minor Irrigation Statistics(RMIS) के अन्तर्गत देश में लघु सिंचाई योजनाओं की संगणना का कार्य प्रारम्भ किया गया था। योजना का लक्ष्य देश में लघु सिंचाई योजनाओं तथा उनसे प्राप्त होने वाले लाभों का सुदृढ़ एवं विश्वशनीय डाटा-बेस तैयार करना था, जिससे लघु सिंचाई योजनाओं की आवष्यकताओं की जानकारी हो सके तथा तद्नुसार ही भविष्य में लघु सिंचाई योजनाओं हेतु नियोजन एवं नीति निर्धारण किया जा सके। उक्त कार्यक्रम भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय, लघु सिंचाई (सांख्यिकी) शाखा द्वारा संचालित किया जाता है। सर्वप्रथम प्रथम लघु सिंचाई संगणना का कार्य आधार वर्ष 1986-87 में किया गया था, जिसके पश्चात् विभिन्न आधार वर्षों क्रमषः वर्ष 1993-94, वर्ष 2000-01, वर्ष 2006-07 एवं वर्ष 2013-14 में क्रमषः द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम लघु सिंचाई संगणना का कार्य सम्पादित किया जा चुका है। जिसके आंकड़े भारत सरकार द्वारा प्रकाशित किये गये हैं। लघु सिंचाई कार्यों की संगणना के अन्तर्गत सतही जल योजनाओं तथा भू-जल योजनाओं की गणना की जाती है जिनका उपयोग सिंचाई के कार्यों में होता है। सतही जल योजनाओं के अन्तर्गत सतही प्रवाह योजनाएं तथा सतही लिफट योजनाओं जैसे सिंचाई गूल, टैंक पाईप लाईन, हौज, आर्टीजन कूप, कुआँ, उथले, मध्यम एवं गहरे नलकूप, हाईड्रम योजनाओं आदि विभिन्न माध्यम से होने वाले सिंचाई साधनों की गणना की जाती है।

उत्तराखण्ड में लघु सिंचाई कार्यों की संगणना को सम्पादित किये जाने हेतु लघु सिंचाई विभाग, नोडल विभाग नामित है। आधार वर्श 2013-14 के अन्तर्गत सम्पादित लघु सिंचाई संगणना का कार्य हाल ही में विभाग द्वारा पूर्ण किया गया है। जिसके आंकड़े http://mowr.gov.in/schemes-projects-programmes/schemes/irrigation-census/ पर उपलब्ध हैं।

भारत सरकार द्वारा लघु सिंचाई कार्यों की छठी संगणना आधार वर्ष 2017-18 की गणना से सम्बन्धित प्रक्रिया भी प्रारम्भ कर दी गई है। छठी लघु सिंचाई संगणना की विषेशता यह है कि इसमें भू-जल योजनाओं एवं सतही जल योजनाओं के अतिरिक्त ग्रामीण और षहरी क्षेत्रों में उपलब्ध जल निकायों की गणना का कार्य भी किया जाना है।

लघु सिंचाई कार्यों की संगणना



लघु सिंचाई कार्यों की संगणना





5th MI Census Booklet Download

Source : Minor Irrigation Department, Uttarakhand , Last Updated on 10-10-2024